गजल
बहते जल के साथ न बह
कोशिश करके मन की कह
कुछ तो खतरे होंगे ही
चाहे जहाँ कहीं भी रह
मौसम ने तेवर बदले
कुछ तो होगी खास बजह
लोग तुझे कायर समझें
इतने अत्याचार न सह
लोकतन्त्र की ये तरणी
छेद हो गये जगह जगह
-डा० जगदीश व्योम
कोशिश करके मन की कह
कुछ तो खतरे होंगे ही
चाहे जहाँ कहीं भी रह
मौसम ने तेवर बदले
कुछ तो होगी खास बजह
लोग तुझे कायर समझें
इतने अत्याचार न सह
लोकतन्त्र की ये तरणी
छेद हो गये जगह जगह
-डा० जगदीश व्योम
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